सच ! ये कुछ और नहीं, हमारी जमा पूंजी है !!

सेठ, साहूकार, अमीर, व्यापारी, नेता, अफसर
इनकी ही जय जयकार है, मेरा भारत महान !

प्यार, दर्द, जख्म, आंसू, यादें, गम, नफ़रत
माँगने की हदें मत तोड़ो, लो हम खुद गए !

मैं जब तक मैं रहा, कुछ भी रहा
आज मेरा मुझसे कोई वास्ता नहीं !

कुढ़ना
,चिढचिढाना,उखढ़ना,बौखलाना,पिनपिनाना
उफ़ ! क्या स्टाईल होता है, खूसटलम्पट लोगों का !

हम जब तक तुम में रहे, अक्श बन कर रहे
जाने कब निकले, और कब हम हो गए !

लालिमा, चहचहाहट, हवाएं, क्या हंसी सब है
काश ! ये लम्हें, इन्हें हम कुछ देर रो पाते !

गए आवाज पर हम, जब कहो तब जायेंगे
कब कहा हम हैं अपने, और कभी कह पायेंगे !

उफ़ ! जिन्होंने खुद का जमीर बेच रक्खा हैउदय
आज उन्हें भी मौक़ा मिला है लांछन लगाने का !

जब किसी को किसी की सुननामानना नहीं
फिर बेवजह ही, चर्चावार्ता पर टाईमखोटी !

कोई कुछ भी कहे, विनम्रता हम छोड़ेंगे
सच ! ये कुछ और नहीं, हमारी जमा पूंजी है !!

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