सूखा-सूखा आँचल देखो, खेतों और खलियानों का !

तुम्हें या तुम्हारे ख्यालों को, किस किस को सम्हालें
सब फूल से कोमल हैं, और हम पत्थरनुमा निकले !
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उफ़ ! कडकडाती ठण्ड है, हुई स्वेटर भी बेअसर
पर ! स्वेटर में लिपटी हुई, तेरी यादों की गर्मी है !
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चापलूसी,चमचागिरी,मक्कारी की जन्नत, लाहौलबिलाकुबत
इमानदारी, मेहनत, स्वाभीमान का जहन्नुम, शुभानअल्लाह !
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खुदा
खैर जो तुम आज दिल पे ही बरसे हो
हमें तो लगा, आज सामत नहीं है हमारी !
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काश दिल और जज्बे, हमारे भी कमीने होते
इसी बहाने शायद हम तुम्हारी जुबां पे होते !
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ठंड, गुनगुनाती धुप, और सुबह के मंजर
उफ़ ! तेरे हाथों से उठतीआदाबकी यादें !
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क्या सफ़र, क्या जिन्दगी, क्या राहें
कोई हमें, तेरे गेसुओं से तो निकाले !
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बूँदें, खेती, सावन, भादों, किसान, मजदूर, आसमां
सूखासूखा आँचल देखो, खेतों और खलियानों का !
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तकलीफें, हौसले, और हम
चलो चलते रहें, बढ़ते रहें !
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कौन ऊंचा, कौन नीचा, सब किताबी आंकड़े हैंउदय
जेब टटोल, सिक्का उछाल कर देखो, सभी बाजार में हैं !
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ताउम्र तेरी गर्म साँसों से, उतना गर्म हुआ ये बदन
जितना आज तेरी चिता की आंच से दहक रहा हूँ मैं !
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खुशी हो, या गम का मंजर होउदय
रोके कहाँ रुकते हैं, छलकते आंसू !
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